Mahasamadhi Day Message 2024
Dussehra is one of the most significant religious functions of the Hindus and it is celebrated in all parts of India. It is also celebrated by the Hindu diaspora living abroad.
It is basically the worship of the highest divine power symbolized through the form of a woman.
All the powers or capabilities in the universe emanate from the highest and eternal power, who believers variedly venerate as God the Ultimate, or Bramah. The primordial divine power creates, sustains, and changes the forms of creation.
Mother Durga, as they call her out of sheer love, is the highest form of such power which the Hindus adore and worship with joy. She symptomizes superiority of virtue over vice; permanency of virtue and temporariness of vices.
Besides, Dusshera is very significant for the devotees of Shirdi Saibaba as this is His Mahasamadhi day. Shri Sai Baba of Shirdi, through various acts and precepts, established the value of truth and virtue over falsehood and vice. He stood for and with virtuous devotees even under trying circumstances. The story of His divine life tells many such incidents where virtuous devotes were saved from difficulties and dangers by the Sadguru. Even today people from different places are reporting the play of such divine compassion of Shri Sai Baba.
On this day, let us pray sincerely to Baba to give us the courage and the moral strength to stand for the right causes and virtues.
May Shri Sai bless us all.
Dr. C. B. Satpathy,
Gurugram
Mahasamadhi Day Message 2024
दशहरा हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक है और उसे भारत के सभी भागों में मनाया जाता है। यह विदेशों में रहने वाले हिंदू प्रवासियों के द्वारा भी मनाया जाता है।
यह मूल रूप से सर्वोच्च दिव्य शक्ति की प्रतीकात्मक रूप से नारी के रूप में पूजा है।
ब्रह्माण्ड में सभी शक्तियाँ या क्षमताएँ सर्वोच्च और शाश्वत शक्ति द्वारा उद्भूत होती हैं, जिसे आस्थावान लोग विभिन्न प्रकार से परमेश्वर, या ब्रह्म के रूप में पूजते हैं। आद्य (मूल) दिव्य शक्ति सृष्टि की उत्पत्ति, उसका पालन और उसके रूपों का परिवर्तन करती हैं।
माँ दुर्गा, जैसा कि लोग उन्हें विशुद्ध प्रेम से पुकारते हैं, वह एक ऐसी शक्ति का सर्वोच्च रूप हैं, जिन्हें लोग बहुत चाहते हैं और प्रसन्नता पूर्वक उनकी पूजा करते हैं। वह पाप पर पुण्य की श्रेष्ठता को परिलक्षित करती हैं, (जिसका अर्थ है-) पुण्य का स्थायित्व और पाप का अस्थायित्व।
साथ ही, शिरडी साईंबाबा के भक्तों के लिए दशहरा भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनका महासमाधि दिवस है। शिरडी के श्री साईं बाबा ने अपने विभिन्न क्रियाकलापों और नीति वचनांे के द्वारा असत्यता और बुराई पर सत्यता एवं अच्छाई का महत्व स्थापित किया। वे अपने सद््गुणी भक्तों के जीवन की विकट परिस्थितियों में भी उनके लिए और उनके साथ खड़े रहे। उनके दिव्य जीवन की गाथा बहुत सी ऐसी घटनाओं के विषय में बताती है, जहाँ मुसीबतों और खतरों से सद्गुरु द्वारा सद्गुणी भक्तों की रक्षा हुई थी। यहाँ तक कि आज भी विभिन्न स्थानों से लोग श्री साईं बाबा की इस दिव्य करुणा की लीला की जानकारी दे रहे हैं।
इस दिन, आइए हम सच्चे मन से प्रार्थना करें कि वे हमें सही उद्देश्य और अच्छाई के लिए खड़े होने का साहस और नैतिक बल प्रदान करें।
श्री साईं हम सभी पर कृपा करें।
डॉ. सी. बी. सतपथी ,
गुरुग्राम
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